मिट्टी के घर में रहकर देखे पक्के सपने, उधार के पैसों से बना क्रिकेटर, दादा की दया और खुद की मेहनत से बदल दी जिंदगी

रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट मुकाबले खेले जा रहे हैं. रणजी ट्रॉफी 2022 के पहले क्वार्टर फाइनल में बंगाल का मुकाबला झारखंड से हुआ. इस मुकाबले में बंगाल की ओर से खेलने वाले सुदीप कुमार घरामी ने बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया और अपनी टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया. करो या मरो के इस मुकाबले में संदीप ने शानदार शतक लगाकर बंगाल की टीम को काफी अच्छी स्थिति में ला दिया. हालांकि सुदीप कुमार घरामी के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होगीय उन्होंने संघर्ष कर क्रिकेट में बड़ा मुकाम हासिल किया है.
2020 से पहले वो एक मिट्टी के घर में रहते थे. उनके परिवार की स्थिति बहुत ही खराब थी. संदीप के पिता राजमिस्त्री का काम करते थे और अपने परिवार का गुजारा करते थे. संदीप की मां हाउसवाइफ है. हालांकि संदीप के इस मुकाम तक पहुंचने का पूरा श्रेय बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को जाता है. संदीप का खेल देखकर सौरव गांगुली काफी प्रभावित हुए थे. संयोग की बात है जिस तरह 1990 में गांगुली ने रणजी ट्रॉफी के फाइनल में डेब्यू किया था. उसी तरह संदीप ने 2020 के खिताबी मुकाबले में बंगाल के लिए खेलते हुए उसके खिलाफ राजकोट के खंडेरी स्टेडियम में डेब्यू किया था.
2019 के अंडर-23 विश्वकप जीतने के बाद ने अपनी संपत्ति बना ली. एक वेबसाइट को को दिए गए इंटरव्यू में संदीप ने अपनी जिंदगी की कहानी बताई थी. संदीप ने बताया था कि मैं नैहाटी में पैदा हुआ और बचपन से ही क्रिकेटर बनना चाहता था. लेकिन मेरे पास पर्याप्त पैसे नहीं थे. मेरे पिताजी भी मुझे क्रिकेटर बनाना चाहते थे. मुझे क्रिकेट खेलने के लिए जो कुछ चाहिए था. वह सब मेरे पिताजी ने लोगों से उधार लाकर दिया. आप संदीप जिस भी मुकाम पर है उसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत है. पिता के साथ-साथ संदीप को उनके दादा का भी पूरा साथ मिला.