जब अपने चहेते खिलाड़ी के लिए धरने पर बैठ गए सौरव गांगुली और लड़ गए सभी से.....

साल 2000 में सदी की नई शुरुआत हुई थी, जिसके साथ ही भारतीय टीम भी पूरी तरह से बदल गई. नई सदी की शुरुआत के साथ ही भारतीय टीम ने विदेशी धरती पर भी जीतना शुरू कर दिया. सौरव गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने एक से बढ़कर एक कारनामे किए. लेकिन एक भारतीय क्रिकेटर के लिए सौरव गांगुली धरने पर बैठ गए थे और उन्होंने अपनी बात मनवाने के लिए सिलेक्टर्स को भी हिलाकर रख दिया था.
सौरव गांगुली मैदान पर हमेशा अपनी पसंदीदा टीम लेकर ही उतरते थे और वह इसके लिए सिलेक्टर्स से भी लड़ जाते थे. पुणे मैदान पर अपनी टीम में बेस्ट खिलाड़ी ही चाहिए होते थे और वो इसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे. जिसकी एक झलक 2001 की भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज से पहले देखने को मिली.
दरअसल गांगुली को ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की ऑफ स्पिन के खिलाफ कमजोरी को जानते थे. जिस कारण शुरू से ही वो हरभजन सिंह को टीम इंडिया में शामिल करना चाहते थे. लेकिन सिलेक्टर्स ने हरभजन को टीम में जगह नहीं दी और वह गांगुली की भी बात नहीं मान रहे थे. क्योंकि पहले भी हरभजन को कई मौके दिए गए थे. लेकिन वह हर बार असफल हुए. जिस कारण एक बार फिर से टीम सिलेक्टेर्स एक बार फिर से हरभजन पर दांल लगाने के लिए तैयार नहीं थे.
लेकिन सौरव गांगुली ने हरभजन सिंह को टीम में जगह दिलाने की बात ठान ली. उन्होंने हरभजन सिंहके लिए मीटिंग में सिकलेक्टर्स के सामने धरना शुरू कर दिया. उन्होंने अपना धरना तब तक खत्म नहीं किया जब तक सिलेक्टर हरभजन को टीम में लेने के लिए नहीं मान गए. हालांकि हरभजन सिंह ने भी गांगुली के भरोसे को टूटने नहीं दिया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने मैच में कुछ ऐसा किया जो कि इतिहास बन गया. कोलकाता टेस्ट की पहली पारी में हरभजन सिंह ने हैट्रिक सहित 6 विकेट हासिल किए. दूसरी पारी में भी उन्होंने 6 विकेट चटकाए.